साहब हमें किसी तरह घर पहुंचा दो,हमें बच्चों के साथ जीना है,बैंगलूरू के स्टेशन के बाहर सीमेंट के पाईप्स में पिछले पांच दिन से अपने दो छोटे मासूम बच्चों को और एक विकलांग साथी के साथ बैठे और रो रहे आजाद की ये गुहार किसी का भी सीना चीर सकती है.
साहब हमें किसी तरह घर पहुंचा दो,हमें बच्चों के साथ जीना है,बैंगलूरू के स्टेशन के बाहर सीमेंट के पाईप्स में पिछले पांच दिन से अपने दो छोटे मासूम बच्चों को और एक विकलांग साथी के साथ बैठे और रो रहे आजाद की ये गुहार किसी का भी सीना चीर सकती है. Pls help @srinivasiyc 🙏 9606201650 pic.twitter.com/oJlYqgZFl5
— Yogita Bhayana (@yogitabhayana) May 29, 2020