आज बात फिल्म के दौरान हुए शानदार किस्से की. जिसे यादकर आज भी डायरेक्टर-एक्टर-को-एक्टर सभी मज़े लेने बैठ जाते हैं.
दरअसल, 1999 में संजय दत्त की एक फिल्म आई थी. ‘वास्तव: द रियलिटी’. संजय दत्त के करियर को रीलॉन्च करने वाली इस फिल्म के क्लाइमैक्स सीन को आज भी आइकॉनिक माना जाता है. वो सीन जिसमें संजय दत्त का किरदार ‘रघु’ अपनी मां (रीमा लागू) से खुद को मारने को कहता है. संजय दत्त और रीमा लागू ने इस सीन को एक टेक में पूरा किया था.
डायरेक्टर महेश मांजरेकर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि संजय दत्त ने उनसे कहा था कि वो इस सीन को शूट करने के लिए कई कैमरे लगा लें. क्योंकि वो बार-बार टेक करने में वो इमोशन और एक्सप्रेशन नहीं ला सकेंगे, जो एक बार में कर देंगे. ऐसा ही हुआ. इस सीन और फिल्म को संजय दत्त के बेस्ट काम में गिना जाता है.
लेकिन ये किस्सा सिर्फ फिल्म ‘वास्तव’ से जुड़ा नहीं है. कई डायरेक्टर और एक्टर्स अपनी सीन में परफेक्शन लाने के लिए ऐसा कुछ भी कर जाते हैं, जिसपर नॉर्मली यकीन करना मुश्किल है.
ठीक ऐसा ही एक किस्सा 1989 में आई जैकी श्रॉफ और अनिल कपूर की फिल्म ‘परिंदा’ का भी है.
‘परिंदा’ में जैकी श्रॉफ के किरदार का नाम किशन था और अनिल कपूर उनके छोटे भाई करन के रोल में थे. जैकी को एक सीन में अनिल कपूर को थप्पड़ मारना था. पहले ही शॉट में ये सीन ओके हो गया. लेकिन अनिल कपूर अपने एक्सप्रेशन से संतुष्ट नहीं थे. उन्हें चेहरे पर और दर्द दिखाना था. इसलिए उन्होंने सीन दोबार करने का फैसला किया. जैकी ने अनिल को दोबारा थप्पड़ मारा. लेकिन इस बार भी अनिल को अपने एक्सप्रेशन में वो बात नहीं नजर आई. फिर एक बार सीन शूट हुआ और ऐसे करते-करते जैकी श्रॉफ ने अनिल कपूर को 17 थप्पड़ लगा दिए.
इस सीन के बारे में बात करते हुए अनिल कपूर कहते हैं. ‘थप्पड़ की गूंज अभी तक गूंज रही है मेरे दोस्त जैकी’
इसके जवाब में जैकी श्रॉफ ने कहा था- ‘मेरे छोटे भाई करन के लिए 17 में से एक-एक थप्पड़ प्यार से भरा हुआ था. अगर दुश्मन होता तो पहली बार में ही थोबड़ा फूट जाता.’
खासबात ये है कि इस फिल्म 30 नवंबर को 30 साल पूरे हो गए हैं. अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ ने एक साथ 10 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. दोनों की जोड़ी फिल्म राम-लखन में सबसे ज्यादा पॉपुलर हुई थी.